वायुपुराण और ब्रम्हा पुराण में वर्णन है की नल वंसजो का कोशल में राज होगा । नल वंश के राजाओ ने अपना सम्बन्ध पांडव वंश के साथ बड़ेगर्व से बताया । शिलालेखो , ताम्र पत्रों , तथा भूमि गर्भ से मिली सोने के मुद्रा आदि से चक्रकूट अर्थात बस्तर में नल राजवंश का प्रारंभिक इतिहास सृजित हुआ । नलो को नैषद् प्रदेश का बताया गया है ,और वायु पुराण के अनुशार नलो को कोशल और नैषद् दोनों का स्वामी माना गया । दंडकारण्य में नल शासक पूरा युगीन है।
बस्तर अंचल में शाशन करने वाले नलो का शाशन बहुत बड़ा था । भंडारा , चाँदा , दुर्ग , बालाघाट , रायपुर , धमतरी , कांकेर , राजनांदगांव तक फैला था । डॉ, झा के अनुसार नलों ने घने जंगलो में संस्कृति और साम्राज्य का प्रचार प्रसार अत्यंत निष्ठा और सफलता पूर्वक किया ।
नलों का शासन कब प्रारंभ हुआ , कब तक था , उनकी राज्य सीमा कहाँ तक थी, इस पर विद्वानों में मत ऐक्य नहीं हैं।
350 ई में महकान्तर में व्याघ्रराज के शाशन होने का प्रमाण है इस तिथि के आस पास बस्तर में नल वंश के शाशन का प्रारम्भ माना जा सकता है।
ये नल पुष्करि के शासक के रूप में इतिहास में चर्चित और वर्णित है इनकी राजधानी पुष्करि थी । वर्तमान। बस्तर के सीमा से लगा पुष्करि नगर था
राष्ट्रीय स्तर के स्तर के इतिहासकारो ने नल शासक भवदत्त वर्मन को ही महत्व दिया है, उसके पूर्व के शासको के बारे में कुछ नहीं लिखा गया ।
S N राजगुरु और नविन साहू के अनुसार वृषध्वज पहला नल शासक था ।
डॉ kk झा ने लिखा है- जब तक अन्यथा सिद्ध नहीं हो जाये यही मन कर चलना समा चीन प्रतीत होता है की महाकांतार का व्याघ्राज बस्तर कोरापुट अंचल का नल वंशीय राजा ही था और उसका शासन काल 350 ई के लगभग था ।
बस्तर अंचल में शाशन करने वाले नलो का शाशन बहुत बड़ा था । भंडारा , चाँदा , दुर्ग , बालाघाट , रायपुर , धमतरी , कांकेर , राजनांदगांव तक फैला था । डॉ, झा के अनुसार नलों ने घने जंगलो में संस्कृति और साम्राज्य का प्रचार प्रसार अत्यंत निष्ठा और सफलता पूर्वक किया ।
नलों का शासन कब प्रारंभ हुआ , कब तक था , उनकी राज्य सीमा कहाँ तक थी, इस पर विद्वानों में मत ऐक्य नहीं हैं।
350 ई में महकान्तर में व्याघ्रराज के शाशन होने का प्रमाण है इस तिथि के आस पास बस्तर में नल वंश के शाशन का प्रारम्भ माना जा सकता है।
ये नल पुष्करि के शासक के रूप में इतिहास में चर्चित और वर्णित है इनकी राजधानी पुष्करि थी । वर्तमान। बस्तर के सीमा से लगा पुष्करि नगर था
राष्ट्रीय स्तर के स्तर के इतिहासकारो ने नल शासक भवदत्त वर्मन को ही महत्व दिया है, उसके पूर्व के शासको के बारे में कुछ नहीं लिखा गया ।
S N राजगुरु और नविन साहू के अनुसार वृषध्वज पहला नल शासक था ।
डॉ kk झा ने लिखा है- जब तक अन्यथा सिद्ध नहीं हो जाये यही मन कर चलना समा चीन प्रतीत होता है की महाकांतार का व्याघ्राज बस्तर कोरापुट अंचल का नल वंशीय राजा ही था और उसका शासन काल 350 ई के लगभग था ।
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